Tuesday, 24 July 2012

साँवरे कृष्ण मुरारी मन मोह लियो रे 
मीरा प्रेम दिवानी हरि नाम गवायो रे 


बाँधे पग में घूँगर चलत हरि की दासी 
प्रेम निराला एसा जगत ना देखा कोई 
रंगायो रंग में कान्हा रास रचायो रे 


मीरा के प्रभू गिरिधर नंद मुरारी 
नाम जपत प्रभूजी संसार बिसराई 
सखी मगन एसो जोगन बनायो रे.....

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