रुदाद-ए-मोहब्बत दिल में
कभी आई ना आई
बहार-ए-मदहोशी दिल में
कभी आई ना आई
दर्द पुराना कोई यार बना
हमसफ़र का सफ़र आज़ार बना
उल्फत-ए-कश्मकश जिग़र में
कभी आई ना आई
वो फ़रिश्ता-ए-धडकनों का
था सितारा इसी नज़र का
पयाम-ए-मसर्रत जहाँ में
कभी आई ना आई
फिर आपकी कमी सताए
प्यासे नैनों में नमी सताए
परछाई सुकून सी ज़िन्दगी में
कभी आई ना आई......
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