Saturday 25 June 2011

सपनो में मेरे कौन आ गया ?
नैनो के तले कौन शर्मा गया ?
नैनो के सिलवटों के निचे 
कौन सा ख्वाब खिल गया ?


ये किस ओर कैसे मुझे 
कोई उड़ा ले गया ?
किस नज़र से मेरे खयालो का 
सपना सजा दे गया ?


पुछे तो कोई नहीं हैं 
पुछे तो कोई नहीं हैं मगर


ए मेरे जान-ए-वफ़ा
कैसे तुम्हे बतलाए ?
किस शेहेर में अपना दिल
हम्दर्दे छोड़ आए ?


सलोनी आँखों से सपने 
मेरे कौन चुरा ले गया ? 

  

Saturday 18 June 2011

बिखरी सी हैं जिंदगी
खोई सी हैं सादगी
जिंदगानी के हर सफ़र में
हैरान बना हैं आदमी

जिंदगी की तर्ज़ सुहानी
फिर भी लगे दूर बेगानी
खुशियों के अनजान शेहेर में
बदनाम बना हैं आदमी

बेकरार बेइख्तियार कहानी
सर्घोषी में डूबी जवानी  
आहटों के सिलवटों में
तन्हासा बना हैं आदमी...... 

Thursday 9 June 2011

कभी इन हाथों में मेरा हाथ रहने दो 
लबो की अनकही कभी नज़रो से कहने दो 

उलझन हाल-ए-दिल की कैसे बतलाए ?
खलिश प्यार की दिल में किसको समझाए ?
सपनो से लगी दुनिया सपनो में बहने दो 

आप हमारे थे कभी हो गए जो पराए 
नाराज़ तन्हा जिंदगानी के लुफ्त कौन उठाए ?
मर ना जाए तन्हाई में दर्द वफ़ा का सहने दो....

Monday 6 June 2011

कही आसमान में दिखाई देगी 
हलकी हलकी बारिश की बूँदें 
बेगाने चमन में अपना बनाकर 
दिल दीवाना तुझे हैं ढूंडे

भली सावरी मुस्कान तुम्हारी 
परछाई मोहब्बत की दिल पे पड़े 
भरी दुनिया में तन्हा बनाया
हैं उसी बाज़ार-ए-उल्फत में खड़े 

वो गलियाँ अब दूर सुहानी 
लागे हैं मुझे कोई सपनो के परे 
नसीब हमारे कहा इतने खुशनुमा 
जान ये मेरी दिल-ए-गम में मरे....


Wednesday 1 June 2011

कैसी अज़ब प्यार की दास्ताँ हैं ?
करे तो दर्द-ए-दिल ना करे तो तन्हाई हैं 

बिछायी कलियाँ बहारोने तो हैं 
सजाई दुनिया नज़ारोने तो हैं 
मिले तो किस्मत ना मिले तो बरबादी हैं 

यूँ तो कई राह में मिल जाते हैं 
फूल हज़ार चाह के खिल जाते हैं 
समझे तो वफ़ा ना समझे तो बेवफ़ाई हैं 

गर्दिश में तमन्ना भटकी हुई हैं 
सीने में जलनसी भड़की हुई हैं 
देखे तो यारी ना देखे तो लढाई हैं 

हमने भी आपसे कभी प्यार किया हैं 
बेचारे इस दिल ने कभी इकरार किया हैं 
रखे तो मोहब्बत ना रखे तो जुदाई हैं........   
अफसुरदगी में वक़्त सजा हैं 
बेरंग लहू का रंग बना हैं 

लिखाई किस्मत ने ऐसी दास्ताँ
भड़के शोलो में बुझे रेहनुमा 
सफ़र दर सफ़र बेजान बना हैं 

दिल-ए-हमराज़ कौन था वो ?
तड़पता प्यासा आबशार में जो 
आफ़त में हमारी रुसवा बना हैं 

महबूब मेरे हमदर्द-ए-सनम
बेबाक हसीन हमदम-ए-नज़र 
रिझाया आँसू बेअक्स बना हैं......




वक़्त वक़्त की बात हैं 
चार पल का साथ हैं 
दिल लगाया जिस जहाँ में 
ना उधर दिन रहे ना रात हैं

खिले हसरतों के फूल जहा पर 
वही काँटे भी अज़ीज़ लगे हैं 
बेमौत बितायी ज़िन्दगी जहा पर 
लिखे बेमतलब लबो की बात हैं 

गुज़रा ज़माना खातिम बनाया 
ख़ुशी में कोई बरबाद हैं 
उभरे नज़र से हमे सजाया 
भीगी शब में सुलगी रात हैं.... 

कही आसमान में दिखाई देगी 
हलकी हलकी बारिश की बूंदे 
बेगाने चमन में अपना बनाकर 
दिल दीवाना तुझे है ढूंढे 

भली सावरी मुस्कान तुम्हारी 
परछाई मोहब्बत की दिल पे पड़े 
भरी दुनिया में तन्हा बनाया
है उसी बाज़ार-ए-उल्फत में खड़े 

वो गलियाँ अब दूर सुहानी 
लागे है मुझे कोई सपनों के परे 
नसीब हमारे कहा इतने खुशनुमा 
जान ये मेरी दिल-ए-गम में मरे......
ठुकराके दामन प्यार का 
चले तो ना जाईये 
आपको हमारी कसम 
ऐसे तो ना जाईये 

चंद घड़ियों की ज़िन्दगी 
प्यार से इसे सवारिये
हो अगर रुसवा किसी से 
तो फ़िर ना पुकारिये

रखे है मैफूज़ दिल तुम्हारा 
कभी आके प्यार जतायिये  
सिलनेदो होटों को होटों से 
एक मर्तबा कभी पास आयिये

सो गये कभी निंदिया में   
हलके से यूँ जगाईए 
खो जाए आपके नशे में कभी 
मीठे नज़र से सजयिए......




खामोशियों से भरी रातें, मिला ना कही चैन 
गूँजती हैं तेरी बातें, हैं बरसात में भीगी रैन 


ज़िंदगी तुझ बिन मोहे ना भाये 
मौसम बिताये पर तुम ना आये 
धुवाँ उठाये जलते जिया में 
हमसफ़र बेगाना बन जाए

प्यार की भाषा से अनजान थे हम 
बीते जहाँ में दिल-ए-हाल कुछ कम
सपनो के नगर में बसाके हमे 
रखे समाके पलकों के तले
मरके भी तेरी याद सताए  

कसम है तुम्हे मुझे छोड़ के ना जा 
हमदम हमराही उसी मोड़ पे मिल जा 
जहा पेहली बार तुम मिल गए 
सजाई मंज़िल मैंने सपनो के परे 
युही मदहोशी में दिन ना रुलाए  

तुमसे ना हमे कोई शिकवा ना गिला 
प्यार करके भी हमें कुछ भी ना मिला 
मिल गयी तो सिर्फ बेताबी बेबसी 
भटके जहाँ में मेरी रूह प्यासी 
एसे ही तनहा कही मौत जगाए....


जीया कोई कैसे संभाले 
छलते है किसी के बदनाम साये

आहटो में पली ज़िन्दगी    
दर्द अज़ीज़ होने लगे 
गुमनाम किसी वफ़ाओ से 
हम बेनकाब होने लगे 
टूटे टकराके साहिल पे लहरें 

ये समा किसी के दम से 
बन जाये बेहकता राज़ 
खुशिया किसी के गम से 
बन जाये धड़कता साज़ 
जलते हैं रातो में चाँद सितारे....



रात चलके आयी हैं 
सपनो की बारात लेकर  
मोहब्बत दिल पे छायी हैं 
नयी हसीन अंगडाई लेकर 

कोई चिराग जल उठा 
रोशन किया ज़माने को 
कही किसीने थाम लिया 
मीठी प्यास बुझाने को 
तुम जो आये फ़साना लेकर 

झुकी निगाहें कहे तुमसे 
कोई जुस्तजू किये जा 
तेरे नज़र से मेरे वफ़ा का 
कभी सजदा लिये जा 
आये हो जो कोई आरज़ू  लेकर 

रात भर जगे नैना 
खिलादे कोई गुल बहारा 
कटायी ना कटे रैना 
निहारे कही हुस्न किनारा 
जलते शोलो के अंगारे लेकर.... 

अनजाने से कोई प्यारे लगने लगे हैं 
दिल पे छाकर हमें तडपाने लगे हैं 

रुत हसीन छायी कैसी 
मिट गयी सारी तन्हाई 
आँखों में ख्वाब बुनने लगे हैं 

तस्वीर एकसी सजाई हमने 
खुशियों से भरी कजरारी पलके    
दिन मदहोशी में गुज़रने लगे हैं 

जो प्यार मिला आज यहाँ पर 
आबाद रहे सपने सजा  कर  
सुरमयी नैनो में पनपने लगे है 

मिल गये एसे कही   
झूम उठे दो दिल वही 
खुदाया किस कदर बेक़रार लगे है......
तेरी निगाहों से मिल गया सहारा
ए अजनबी तुम्हे भुला ना दे ज़माना

हैं दिल वही जो प्यार  समझे
सूनी आँखों में सपने कल के
टूट जाये आके होटों पर पैमाना

नशे में गम भुलाके जाम कही हैं छलके 
खामोश नज़रे बहे धारा मूँद के ये पलके 
थामे जिया उन्हें कही बन जाए ना बेगाना

वक़्त चलता हैं यूँ जैसे कोई हो निशाना 
बुझे शम्मो में भी जलते हैं परवाना 
ख्वाब सवारे कोई बनकर हसीन अफ़साना....