Saturday 24 November 2012

आरजू हैं के दर्द-ए-आशियाँ में तुम आओगे 
तुम हमें इस मोड़ पे हैरान से कुछ पाओगे 

हैं तुम्हारी तमन्ना लिए जिंदा यहाँ 
जाना कहा किसको ख़बर, कहा जाओगे ?

माना वक़्त से पहले नहीं मानता यें दिल 
मगर किसे समझाए हमारा हाल-ए-मुश्किल ?

ज़िन्दगी ने दिया बड़ा धोखा हमे 
किस कदर फिरती रहूँ दीवानगी लिये ?

दर्द से रिश्ता हमारा बहोत पुराना 
लेकिन रास नहीं आता तुमको गँवाना 

सोचा कभी यूँही चुपके से तुम आओगे 
बस एक मर्तबा ख़ुशी मुक़म्मल ज़िन्दगी में लाओगे.... 

Saturday 3 November 2012

रेहता हैं कोई इस दिल की चुभन में 
हैं उसे ढूंडते ज़िन्दगी के चमन में 

दास्ताँ-ए-उल्फ़त कभी आई ना आई 
आई नहीं मौत मगर दुनिया में 

तनहा रेहती हैं दिल की जुबान 
गूँजता हैं नाम लेकिन अश्कों में 

सुनी पड़ी हैं राहों की गलियाँ 
सुलगते हैं अरमानों से यादों में .....