रेहता हैं कोई इस दिल की चुभन में
हैं उसे ढूंडते ज़िन्दगी के चमन में
दास्ताँ-ए-उल्फ़त कभी आई ना आई
आई नहीं मौत मगर दुनिया में
तनहा रेहती हैं दिल की जुबान
गूँजता हैं नाम लेकिन अश्कों में
सुनी पड़ी हैं राहों की गलियाँ
सुलगते हैं अरमानों से यादों में .....
हैं उसे ढूंडते ज़िन्दगी के चमन में
दास्ताँ-ए-उल्फ़त कभी आई ना आई
आई नहीं मौत मगर दुनिया में
तनहा रेहती हैं दिल की जुबान
गूँजता हैं नाम लेकिन अश्कों में
सुनी पड़ी हैं राहों की गलियाँ
सुलगते हैं अरमानों से यादों में .....
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