Thursday 13 April 2017

बड़े अरसे बाद वक़्त मिला हैं 
थोड़ा और जी भर के रोने दो

क्या पता अब कब मिले?
थोड़ा और उन यादों में खोने दो

बीता कल था मेरा, न था कभी तुम्हारा
गुज़रे चंद लम्हों में मिल गया था ज़माना
तेरी यादों की तलाश में 
अब गुजरता हूँ उन गलियों से

के, वक़्त के सिरहाने पर 
थोड़ी और फुरसत से सोने दो 

क्या पता अब कब मिले?
थोड़ा और उन यादों में खोने दो...

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