Wednesday, 1 June 2011

कही आसमान में दिखाई देगी 
हलकी हलकी बारिश की बूंदे 
बेगाने चमन में अपना बनाकर 
दिल दीवाना तुझे है ढूंढे 

भली सावरी मुस्कान तुम्हारी 
परछाई मोहब्बत की दिल पे पड़े 
भरी दुनिया में तन्हा बनाया
है उसी बाज़ार-ए-उल्फत में खड़े 

वो गलियाँ अब दूर सुहानी 
लागे है मुझे कोई सपनों के परे 
नसीब हमारे कहा इतने खुशनुमा 
जान ये मेरी दिल-ए-गम में मरे......
ठुकराके दामन प्यार का 
चले तो ना जाईये 
आपको हमारी कसम 
ऐसे तो ना जाईये 

चंद घड़ियों की ज़िन्दगी 
प्यार से इसे सवारिये
हो अगर रुसवा किसी से 
तो फ़िर ना पुकारिये

रखे है मैफूज़ दिल तुम्हारा 
कभी आके प्यार जतायिये  
सिलनेदो होटों को होटों से 
एक मर्तबा कभी पास आयिये

सो गये कभी निंदिया में   
हलके से यूँ जगाईए 
खो जाए आपके नशे में कभी 
मीठे नज़र से सजयिए......




खामोशियों से भरी रातें, मिला ना कही चैन 
गूँजती हैं तेरी बातें, हैं बरसात में भीगी रैन 


ज़िंदगी तुझ बिन मोहे ना भाये 
मौसम बिताये पर तुम ना आये 
धुवाँ उठाये जलते जिया में 
हमसफ़र बेगाना बन जाए

प्यार की भाषा से अनजान थे हम 
बीते जहाँ में दिल-ए-हाल कुछ कम
सपनो के नगर में बसाके हमे 
रखे समाके पलकों के तले
मरके भी तेरी याद सताए  

कसम है तुम्हे मुझे छोड़ के ना जा 
हमदम हमराही उसी मोड़ पे मिल जा 
जहा पेहली बार तुम मिल गए 
सजाई मंज़िल मैंने सपनो के परे 
युही मदहोशी में दिन ना रुलाए  

तुमसे ना हमे कोई शिकवा ना गिला 
प्यार करके भी हमें कुछ भी ना मिला 
मिल गयी तो सिर्फ बेताबी बेबसी 
भटके जहाँ में मेरी रूह प्यासी 
एसे ही तनहा कही मौत जगाए....


जीया कोई कैसे संभाले 
छलते है किसी के बदनाम साये

आहटो में पली ज़िन्दगी    
दर्द अज़ीज़ होने लगे 
गुमनाम किसी वफ़ाओ से 
हम बेनकाब होने लगे 
टूटे टकराके साहिल पे लहरें 

ये समा किसी के दम से 
बन जाये बेहकता राज़ 
खुशिया किसी के गम से 
बन जाये धड़कता साज़ 
जलते हैं रातो में चाँद सितारे....



रात चलके आयी हैं 
सपनो की बारात लेकर  
मोहब्बत दिल पे छायी हैं 
नयी हसीन अंगडाई लेकर 

कोई चिराग जल उठा 
रोशन किया ज़माने को 
कही किसीने थाम लिया 
मीठी प्यास बुझाने को 
तुम जो आये फ़साना लेकर 

झुकी निगाहें कहे तुमसे 
कोई जुस्तजू किये जा 
तेरे नज़र से मेरे वफ़ा का 
कभी सजदा लिये जा 
आये हो जो कोई आरज़ू  लेकर 

रात भर जगे नैना 
खिलादे कोई गुल बहारा 
कटायी ना कटे रैना 
निहारे कही हुस्न किनारा 
जलते शोलो के अंगारे लेकर.... 

अनजाने से कोई प्यारे लगने लगे हैं 
दिल पे छाकर हमें तडपाने लगे हैं 

रुत हसीन छायी कैसी 
मिट गयी सारी तन्हाई 
आँखों में ख्वाब बुनने लगे हैं 

तस्वीर एकसी सजाई हमने 
खुशियों से भरी कजरारी पलके    
दिन मदहोशी में गुज़रने लगे हैं 

जो प्यार मिला आज यहाँ पर 
आबाद रहे सपने सजा  कर  
सुरमयी नैनो में पनपने लगे है 

मिल गये एसे कही   
झूम उठे दो दिल वही 
खुदाया किस कदर बेक़रार लगे है......
तेरी निगाहों से मिल गया सहारा
ए अजनबी तुम्हे भुला ना दे ज़माना

हैं दिल वही जो प्यार  समझे
सूनी आँखों में सपने कल के
टूट जाये आके होटों पर पैमाना

नशे में गम भुलाके जाम कही हैं छलके 
खामोश नज़रे बहे धारा मूँद के ये पलके 
थामे जिया उन्हें कही बन जाए ना बेगाना

वक़्त चलता हैं यूँ जैसे कोई हो निशाना 
बुझे शम्मो में भी जलते हैं परवाना 
ख्वाब सवारे कोई बनकर हसीन अफ़साना....