Wednesday 1 June 2011

खामोशियों से भरी रातें, मिला ना कही चैन 
गूँजती हैं तेरी बातें, हैं बरसात में भीगी रैन 


ज़िंदगी तुझ बिन मोहे ना भाये 
मौसम बिताये पर तुम ना आये 
धुवाँ उठाये जलते जिया में 
हमसफ़र बेगाना बन जाए

प्यार की भाषा से अनजान थे हम 
बीते जहाँ में दिल-ए-हाल कुछ कम
सपनो के नगर में बसाके हमे 
रखे समाके पलकों के तले
मरके भी तेरी याद सताए  

कसम है तुम्हे मुझे छोड़ के ना जा 
हमदम हमराही उसी मोड़ पे मिल जा 
जहा पेहली बार तुम मिल गए 
सजाई मंज़िल मैंने सपनो के परे 
युही मदहोशी में दिन ना रुलाए  

तुमसे ना हमे कोई शिकवा ना गिला 
प्यार करके भी हमें कुछ भी ना मिला 
मिल गयी तो सिर्फ बेताबी बेबसी 
भटके जहाँ में मेरी रूह प्यासी 
एसे ही तनहा कही मौत जगाए....


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