कही आसमान में दिखाई देगी
हलकी हलकी बारिश की बूंदे
बेगाने चमन में अपना बनाकर
दिल दीवाना तुझे है ढूंढे
भली सावरी मुस्कान तुम्हारी
परछाई मोहब्बत की दिल पे पड़े
भरी दुनिया में तन्हा बनाया
है उसी बाज़ार-ए-उल्फत में खड़े
वो गलियाँ अब दूर सुहानी
लागे है मुझे कोई सपनों के परे
नसीब हमारे कहा इतने खुशनुमा
जान ये मेरी दिल-ए-गम में मरे......
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