जीया कोई कैसे संभाले
छलते है किसी के बदनाम साये
आहटो में पली ज़िन्दगी
दर्द अज़ीज़ होने लगे
गुमनाम किसी वफ़ाओ से
हम बेनकाब होने लगे
टूटे टकराके साहिल पे लहरें
ये समा किसी के दम से
बन जाये बेहकता राज़
खुशिया किसी के गम से
बन जाये धड़कता साज़
जलते हैं रातो में चाँद सितारे....
No comments:
Post a Comment