अफसुरदगी में वक़्त सजा हैं
बेरंग लहू का रंग बना हैं
लिखाई किस्मत ने ऐसी दास्ताँ
भड़के शोलो में बुझे रेहनुमा
सफ़र दर सफ़र बेजान बना हैं
दिल-ए-हमराज़ कौन था वो ?
तड़पता प्यासा आबशार में जो
आफ़त में हमारी रुसवा बना हैं
महबूब मेरे हमदर्द-ए-सनम
बेबाक हसीन हमदम-ए-नज़र
रिझाया आँसू बेअक्स बना हैं......
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