वक़्त वक़्त की बात हैं
चार पल का साथ हैं
दिल लगाया जिस जहाँ में
ना उधर दिन रहे ना रात हैं
खिले हसरतों के फूल जहा पर
वही काँटे भी अज़ीज़ लगे हैं
बेमौत बितायी ज़िन्दगी जहा पर
लिखे बेमतलब लबो की बात हैं
गुज़रा ज़माना खातिम बनाया
ख़ुशी में कोई बरबाद हैं
उभरे नज़र से हमे सजाया
भीगी शब में सुलगी रात हैं....
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