Wednesday 1 June 2011

वक़्त वक़्त की बात हैं 
चार पल का साथ हैं 
दिल लगाया जिस जहाँ में 
ना उधर दिन रहे ना रात हैं

खिले हसरतों के फूल जहा पर 
वही काँटे भी अज़ीज़ लगे हैं 
बेमौत बितायी ज़िन्दगी जहा पर 
लिखे बेमतलब लबो की बात हैं 

गुज़रा ज़माना खातिम बनाया 
ख़ुशी में कोई बरबाद हैं 
उभरे नज़र से हमे सजाया 
भीगी शब में सुलगी रात हैं.... 

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