Thursday 9 June 2011

कभी इन हाथों में मेरा हाथ रहने दो 
लबो की अनकही कभी नज़रो से कहने दो 

उलझन हाल-ए-दिल की कैसे बतलाए ?
खलिश प्यार की दिल में किसको समझाए ?
सपनो से लगी दुनिया सपनो में बहने दो 

आप हमारे थे कभी हो गए जो पराए 
नाराज़ तन्हा जिंदगानी के लुफ्त कौन उठाए ?
मर ना जाए तन्हाई में दर्द वफ़ा का सहने दो....

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